Attitude Shayari

नूर अल-सुहानी सा तेज़ पेशानी पे जचता बोहोत है... 

आँखों मे गुस्सा होंटों पे चमक सजती बोहोत है... 

नफरत बोहोत है आपको मूझसे... 

आपके इस खूबसूरत चेहरे पर दिखती बोहोत है... 


वक़्त रहते बदल न पाया गनीमत हो चुकी है... 

नये तौर तरीके सिख न पाया फजीलत खो चुकी है... 

मैं बेबस रहा मेरी आदातों में... 

अब मान नही पा राहा, हक़ीक़त हो चुकी है...


सवाबी हालात बनाने चाहे तुराबी हुए है... 

किताबी हुआ करते थे कभी अब शराबी हुए है... 

खून अब लाल से काला हो चला है... 

हम बरसो पुराने वाक़िये में दफनाएं हुए है... 



मुझ मे पनप रहे दर्द की तख़्लीक़-कार हो तुम... 

बे-पनाह झूठी मोहब्बत करने वाली कलाकार हो तुम...



मेरे गुलिस्ताँ में तेरी यादों का कचरा रोज़ बिखर जाता है... 

बड़ा मुश्किल है दिमाग़ में रोज़ रोज़ झाड़ू लगाना...

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